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[双调·沉醉东风]立冬(步韵诸葛文竹) |
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发表于 2017-11-7 22:02
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非非是是乱人魂,子夜流星茫路奔。若水思潮催梦远,云睁醉眼看乾坤。
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发表于 2017-11-8 06:53
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发表于 2017-11-8 07:55
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发表于 2017-11-8 10:48
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发表于 2017-11-8 16:01
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发表于 2017-11-9 05:29
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发表于 2017-11-9 05:30
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发表于 2017-11-9 05:36
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发表于 2017-11-9 12:16
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发表于 2017-11-9 18:40
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发表于 2017-11-10 05:25
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发表于 2017-11-11 04:41
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